तसल्ली करना मुहावरे का अर्थ tasalli karna muhavare ka arth – धीरज करना या संतोष करना ।
दोस्तो आज के इस समय में हर कोई व्यक्ति अपने जीवन में जल्दी ही सफल होना चाहता है और जब वह सफल नही हो पाता है तो वह निराश होकर कुछ गलत कर बैंठता है या आसा छोड देता है की वह सफल हो जाएगा ।
तब इस तरह के लोगो को एक ही बात कही जाती है की भाई सफल होने के लिए धीरज होना चाहिए क्योकी एक ही दिन में कोई भी सफल नही होता है । इस तरह से जो लोग धीरज कर लेते है उनके लिए कहा जाता है की इसने तो तसल्ली कर रखी है । इस तरह से तसल्ली करना मुहावरे का अर्थ धिरज करना होता है । जिसे संतोष करना भी कहा जाता है ।
तसल्ली करना मुहावरे के अन्य रूप
तसल्ली देना – धीरज देना ।
तसल्ली दिलाना – धीरज दिलाना ।
तसल्ली करना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग
- प्रसांत नौकरी की जम कर तैयारी कर रहा है और उसे पता भी है की वह नोकरी लग जाएगा जिसके कारण से वह समय का इंतजार करता हुआ तसल्ली कर रहा है ।
- महेश के पिता की मृत्यु हो जाने के कारण से किशोर ने उसे तसल्ली करने को कहा ।
- जब मुकेश जी का सारा कारोबार ठप पड गया तो राहुल ने कहा की भाई तसल्ली करो आपका कारोबार फिर से सही चलने लग जाएगा ।
- किसन एक ऐसा आदमी है जो की भौजन करने के लिए भी तसल्ली करने की बात करता है ।
- जब लालूयादवजी का पैर टूट गया तो लोग उनसे कहने लगे की भाई तसल्ली करो यह वापस सही हो जाएगा ।
- प्रताब तो हर किसी को तसल्ली देता रहाता है ।
- मुझे नौकरी करनी है और अपना कर्जा उतारना है इस काम में मैं तसल्ली करना सही नही है ।
तसल्ली करना मुहावरे पर कहानी (गरीब किसान को ज्ञानी बाबा की सहलाह)
दोस्तो प्राचीन समय में क्या होता था की ऐसे बाबा हुआ करते थे जो की लोगो के मन को पढ कर उनके भविष्य को जान लेते थे आज भी ऐसे गुरू या बाबा है मगर उन्हे हम जानते नही है । और आज मैं आपको ऐसे ही एक साधू बाबा की कहानी बताउगा ।
प्राचीन समय में एक किसान हुआ करता था जो की अपने घर में अकेला ही रहता था । उसका स्वयं का बेटा शहर चला गया पैसे कमाने के लिए और वही जाकर रहने लगा था यहां तक की उसने विवाह भी कर लिया मगर अपने पिता को इस बारे में बताया तक नही ।
इस तरह के किसान फिर अपने घर में अकेला ही रह गया था क्योकी उसकी पत्नी की काफी समय पहले मृत्यु हो गई थी और इसके अलावा उसके घर में कोई नही था । जब तक किसान की भुजाओ में बल था तब तक वह ठाठ बाट से रहा करता था । मगर जैसे जैसे वह वृद्ध होने लगा तो किसान से अपने खेतो में काम भी नही हो रहा था ।
दिमाग खाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य व एक प्रसिद्ध कहानी
दुखड़ा रोना मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग
नाम निशान न रहना मुहावरे का अर्थ और वाक्य
दूध की मक्खी होना मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग
नीलाम होना मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग
मगर फिर भी किसान अपनी मेहन्त से पिछे नही हटता था । और खाने के लिए अन्न पैदा कर ही लेता था । इस तरह से किसान का जीवन बडे कष्टो से चल रहा था । और अब वह एक निर्धन की तरह जीवन तक गुजारने लगा था । किसान को यह सब देख कर अपने आप को दोष देता और कहता की आज अगर उसने अपने बेटे को रोक लिया होता तो आज उसे यह सब कष्ट देखने नही पडते थे ।
इस तरह का गरीब और लाचार होने के बाद भी वह किसी की भी मदद करने से पिछे नही हटता था । किसान की इसी आदत के कारण से वह वापस धनवान हो गया था । क्योकी एक बार की बात है किसान अपने घर में आराम कर रहा था और उस समय तेज वर्षा हो रही थी । मगर किसान इससे खुश नही था ।
इतनी अधिक तेज वर्षा के बिच में किसान के घर में एक साधू बाबा आया था जो की किसान से इस तेज वर्षा से बचने के लिए सरण मागता था । किसान हर किसी की मदद करता और साधू बाबा को देखते हुए किसान ने उन्हे आदर दिया और उन्हे अपने घर में अच्छे से स्थान पर बैठाया ।
साथ ही फिर उन्हे एक नई कपडे की जोडी दी और कहा की महाराज ये अभी नए है आप इन्हे पहन कर अपने आप के शरीर को ठंड से बचा सकते हो । यह सुन कर साधू बाबा ने किसान से कपडे ले लिए और देखा तो वे अभी पूरे के पूरे नए थे तो साधू बाबा ने उन्हे पहन लिया और फिर किसान से बात करने लगा ।
तब साधू बाबा को पता चला की किसान काफी अधिक गरीब है । तब साधू बाबा ने कहा की हे किसान क्या तुम इस तरह से तेज वर्षा होने से खुश नही हो । तब किसान ने कहा की साधू बाबा इस वर्षा के कारण से तो मैं खुश हूं । मगर खुश नही भी हूं ।
किसान की यह दो मुह वाली बात सून कर साधू ने कहा की आप दोनो बाते क्यो कह रहे हो । तब किसान ने कहा की साधू बाबा मेरी भुजाओ मे अब इतना अधिक बल नही है की मैं अपने खेत में सिचाई कर सकू । यह सुन कर साधू बाबा ने किसान की तरफ देखा तो किसान बहुत ही दूबला पतला था ।
तब साधू बाबा ने कहा की तुम्हारी बात तो सही है मगर तुम कुछ समय की तसल्ली करो और अपने खेतो में सिचाई करो जिसके बाद में तुम्हारे अच्छे दिन आने वाले है । इतने में बारीस छम गई तो साधू बाबा वहां से चला गया और जाते हुए कहा की अपने पूरे खेत को अच्छी तरह से फसल से हरा भरा करना है ।
इस तरह से किसान ने साधू बाबा के मुह से बात सुनी तो वह सोचने लगा की मैं यह कैसे करूगा । मगर समय आने पर किसान ने साधू बाबा की बात मानते हुए तसल्ली की और अपना काम करने लग गया यानि सिचाई का काम करने लग गया था।
उस समय क्या होता था की आज की मशीन नही हुआ करती थी जो खेतो को अच्छी तरह से बिजो की बुआई कर दे बल्की उस समय बैंल हुआ करते थे जो की खेतो में हल चलाने का काम करते हुए सिचाई करते थे । मगर यह भी हर किसी के पास नही होता था और यह केवल अपने अपने काम को ही करते थे ।
और किसान निर्धन होने के कारण से उसके पास ऐसा कुछ नही था । मगर फिर भी किसान कस्सी फुहाडा लेकर चला गया और अपने खेत को खोदने लगा और जमीन को उल्ट पूल्ट करने लगा था । इस तरह से किसान को अपने खेत को खोदते हुए काफी समय लग रहा था और उसकी हालत ऐसी हो रही थी की मानो वह अभी चक्कर आने के कारण वह पडेने वाला हो ।
मगर उसे साधू बाबा की बातें याद आती और वह अपने काम में फिर से लग जाया करता था । इस तरह से काम करते रहने के कारण से वह अपने खेत को आधा खोद चूका था । और वह हर बार इतने ही खेत में बुवाई किया करता था ।
मगर फिर उसे साधू बाबा की याद आई की उन्होने कहा था की इस बार पूरा का पूरा खेत हरीयाली से छा जाना चाहिए । और यही याद करते हुए किसान अपने खेत को खोदने के लिए आगे बढता गया और पिछे वाले खेत में उसने बिजो की बुवाई कर दी थी ।
अब आधा खेत बंचा था जिसे वह अभी खोद रहा था । इस तरह से खोदते खोते दो दिन बित गए और अगले दिन वह अपने खेत को खोद रहा था की तभी उसकी कस्सी जोर से आवाज करती है मगर किसान ने सोचा होगा की वहां पर कोई पत्थर होगा । मगर फिर से उसी जगह पर कस्सी को मारने के कारण से किसान की कस्सी फिर से आवाज करती है ।
यह देख कर किसान ने सोचा की कुछ न कुछ है हो सकता है की कोई बडा पत्थर है जो की यहां पर आ गया है । यह सोच कर किसान उसे निकालने के लिए आस पास की जमीन को और अधिक खोदा । तो उसने देखा की जमीन में एक बक्सा है । यह देख कर किसान ने अपने आस पास के लोगो को आवाज लगाई और कहा की इसे बाहर निकाला ।
किसान के खेतो के पास जो लोग रहा करते थे वे बडे नेक दिल्ल थे जिसके कारण से उन्होने बक्से को बहार निकालने में मदद कर दी । इतने में गाव के कुछ लोग भी उधर से जा रहे थे तो लोगो को इक्ट्ठा देख कर वे भी उनके पास चले गए । जैसे बक्सा बाहर निकला तो सभी लोगो ने देखा की एक मुर्ती है जो की यही पर भूमि में दबी है ।
जब लोगो ने यह देखा तो लोग भगवान भगवान कर कर मुर्ती के चरणो में पडने लगे । तभी कोई आया और उसने मुर्ती को बाहर निकालते हुए दूध से स्नान करवाने लगा । तब सभी लोगो ने देखा की वह मुर्ती तो भौलेनाथ की है । यह देख कर किसान ने लोगो से कहा की जरा बक्सा भी खोलो ।
जिसके कारण लोगो ने बक्सा खोला तो उन्होने सबसे पहले एक सांप को देखा जीसे देख कर सभी लोग डर गए और दूर भाग गए। मगर जैसे ही साप ने किसान को देखा तो वह बक्से से चला गया । तब किसान की नजर बक्से में रखे हिरे जवरात पर पडी । और उसने लोगो को आवाज लगाई तो लोग भी वहां पर आकर यह सब देखने लगे थे ।
यह देख कर सभी लोगो ने भोलेनाथ की जय जय कार की । और कुछ लोगो ने किसान को सलाह देते हुए कहा की यह भौलेनाथ का धन है और इसे लगा कर यही पर एक बडा मंदिर बना दो । लोगो की यह बात सुन कर किसान ने कहा की यह तो प्रभु की माया है ।
तभी कुछ लोग आपस में बात कर रहे थे की किसान के तो दिन चमक गए पता नही यह कैसे हुआ है । तभी किसान को साधू बाबा याद आया जिसे उसने सलाह दी थी की अभी जरा तसल्ली करो और अपने खेत को हरा भरा कर लो । यह बात याद करते ही किसान ने लगो से कहा की भाईयो एक साधू बाबा आया था जिसके कारण से ही आज मैं इधर अपने खेत को खोद रहा था वरना मैंने कभी भी इधर खेत को खोदा नही था ।
इस तरह से फिर किसान ने वही पर एक बडा विशाल मंदिर बनाने की बात गाव के लोगो को कह दि । कुछ ही समय में यह बात किसान के बेटे के पास पहुंच गई और धन की लालच में किसान का बेटा अपनी पत्नी के साथ किसान के पास आ गया और उस धन को पाने की कोशिश करने लगे ।
मगर किसान ने उन्हे एक छोटा सा टूकडा तक न लेने दिया बल्की उसे मंदिर निर्माण में लगा दिया और जो बचा वह सब मंदिर में रख दिया और आने जाने वाले लोगो को भौजन कराने के लिए इस धन को काम में लेने की सोच ली । इस तरह से किसान ने फिर बडी धूम धाम से मंदिर का निर्माण किया और वहां पर पूजा पाठ होने लगा ।
इस तरह से किसान ने फिर मंदिर में ही रहने का फैसला लिया और दिन रात प्रभु भौलेनाथ के चरणो में पडा रहता था । इस तरह से खजाना और भौलेनाथ की मुर्ती के बारे में दूर दूर तक बात पहुंची थी जिसके कारण से लोग मंदिर में भौलेनाथ के दर्शन करने के लिए आने लगे थे । और जब किसान से कुछ पूछते तो किसान एक ही बात कहता की जीवन में कुछ भी करो तसल्ली करनी चाहिए एक दिन सफलता जरूर मिलती है।
इसके साथ कहता और मैं क्या कहूं, जो प्रभु की इच्छा वही होगा । इस तरह से किसान का जीवन अच्छी तरह से चलने लगा था और जो स्वयं भौजन नही कर पाता था वह दूसरो को भर पेट भौजन खिलाता था । जब किसान के बेटे को धन नही प्राप्त हुआ तो वे वापस वहां से चले गए मगर अब किसान को उनकी जरूरत भी क्या थी अब तो स्वयं भौलेनाथ उनकी देखभाल कर रहे थे ।
इस तरह से किसान को अपनी तसल्ली करने का फल प्राप्त हुआ था ।
इस तरह से आप इस कहानी से मुहावरे के अर्थ के बारे में समझ गए होगे ।
अगर आपने कभी अपने जीवन में किसी काम में तसल्ली की है तो हमे बताना न भूले ।
very very most important hindi muhavare
ताना मारना का मतलब और वाक्य व कहानी
तार तार होना मुहावरे का मतलब और वाक्य व निबंध
दाहिना हाथ होना का मतलब और वाक्य में प्रयोग
दौड़ धूप करना का मतलब और वाक्य मे प्रयोग व कहानी
गुल खिलाना का मतलब और वाक्य मे प्रयोग व कहानी
नींद हराम होना का अर्थ और वाक्य में प्रयोग
उल्टी पट्टी पढ़ाना का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग
नीचा दिखाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग
बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद का अर्थ और वाक्य व कहानी
ठिकाने लगाना का मतलब और वाक्य मे प्रयोग
नाच न जाने आंगन टेडा का मतलब और वाक्य मे प्रयोग व कहानी
राई का पहाड़ बनाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग
बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद का अर्थ और वाक्य व कहानी
नाक काटना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग व कहानी
मिट्टी में मिलाना मुहावरे का मतलब और वाक्य व कहानी
नजर चुराना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग
चुल्लू भर पानी में डूब मरना का मतलब और वाक्य मे प्रयोग
बाल बाँका न होना का मतलब और वाक्य मे प्रयोग
घमंड में चूर होना का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग
डींग हाँकना (मारना) मुहावरे का मतलब और वाक्य में प्रयोग
छाती पर साँप लोटना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग
धाक जमाना मुहावरे का मतलब और वाक्य मे प्रयोग
जली कटी सुनाना मुहावरे का मतलब और वाक्य मे प्रयोग व कहानी
सिर पर कफन बांधना का मतलब और वाक्य मे प्रयोग व कहानी
धूप में बाल सफेद करना का मतलब और वाक्य मे प्रयोग
घाव पर नमक छिड़कना का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग
जिसकी लाठी उसकी भैंस का अर्थ और वाक्य व कहानी
चींटी के पर निकलना का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग
नुक्ताचीनी करना मुहावरे का अर्थ और वाक्य व निबंध
नाच नचाना का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग
पीठ ठोंकना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग
नानी याद आना का मतलब और वाक्य मे प्रयोग व कहानी
धूल में मिलना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग
धज्जियाँ उड़ाना का मतलब और वाक्य व निबंध
दूर के ढोल सुहावने का मतलब और वाक्य व कहानी
मजा किरकिरा होना का मतलब और वाक्य मे प्रयोग
दिन फिरना मुहावरे का मतलब और वाक्य मे प्रयोग
दाँत पीसना का मतलब और वाक्य मे प्रयोग व निबंध