फूलानसमानामुहावरेकाअर्थ phula na samana muhavare ka arth – अत्यधिकप्रसन्नहोना।
दोस्तो जब कोई किसी शुभ काम की खबर शुनकर बहुत अधिकर प्रसन्न हो जाता है या फिर किसी भी कारण से बहुत अधिक प्रसन्न हो जाता है तो इसे ही फूला न समाना कहते है । जिस तरह से आज के जमाने मे लोग अपने ही लोगो के बारे मे सोचते है इस कारण उन्हे जब पता चलता है की हमारे बेटे हमारी बेटी आदी मे से कोई नोकरी लग गया है या फिर कोई अन्य कारण है तो वह बहुत खुश हो जाता है और तब उसके लिए कहा जाता है की उसके घर के लोगो के साथ ऐसा हो गया तब वह फूला न समा पा रहा था ।
फूलानसमानामुहावरेकावाक्यकाप्रयोग Use of sentence
1. रामलाल के बेटे की नोकरी क्या लग गई रामलाल तो फूला न समा रहा था ।
2. जब उसने सुना की उसकी बेटी के बेटा हुआ है तो वह फूला न समा पाया।
3. जब रामबाबू को पता चला की उसका बेटा IAS मे प्रथम आया है तो वह फूला नही समा पाया ।
4. जब राम को पता चला की उसकी बहन उससे मिलने के लिए आ रही है तो वह फूला नही समा पा रहा था ।
class="wp-block-heading has-vivid-red-color has-text-color">फूलानसमानामुहावरे पर कहानी Idiom story
एक बार की बात है रमेश नाम का एक लडका अपने गाव मे रहता था । उसके घर मे उसके पिता और माता ही थी । रमेश अपने घर मे एक ही बेटा था इस कारण रमेश के पिता ने उसे बहुत मेहन्त कर कर स्कुल भेजा जिससे उसने पढाई की थी । रमेश के दो दोस्त भी थे जिनमे से एक अमीर घर का था ।
रमेश बहुत ही गरीब घर का था और उसके घर मे समय पर खाना भी नही मिलता था । फिर भी उसके पिता ने उसे पढाया यह बात रमेश को पता थी । जब रमेश ने स्कुल खत्म की तो रमेश ने अपने पिता से कहा की अब मे कोलेज भी पढना चाहता हूं । रमेश के कहने पर उसके पिता ने उसे कोलेज भी पढने के लिए भेज दिया था ।
रमेश के दो मित्रो से जो अमीर था वह तो रमेश के साथ कोलेज पढने के लिए चला गया था पर जो गरीब था उसके घर मे भी रमेश की जैसी ही हालत थी इस कारण उसके पिता ने उसे आगे नही पढाया । किसी तरह से रमेश ने अपनी कोलेज पुरी कर ली थी ।
उसने सोच रखा था की मै एक अध्यापक बनुगा और अपनी नोकरी के साथ साथ अपने गाव के बच्चो को भी पढाया करुगा । ऐसा सोचकर वह आगे और पढने लगा था । साथ ही जब भी रमेश को पैसो की जरुरत पढ जाती तो रमेश का मित्र उसे दे दिया करता था ।
इस तरह से दोनो ने एक साथ मेहन्त कर कर बीएड भी पुरी कर ली थी । अब उन दोनो को नोकरी लगने के लिए तैयारी की जरुरत पढती थी इस कारण रमेश का मित्र तो शहर मे रहकर तैयारी करने लगा था । पर रमेश शहर मे नही रह सकता था क्योकी रमेश के पितो को अब उसकी जरुरत पडने लगी थी ।
उसके घर मे उसका पिता अकेला ही कमाने वाला था । जो समय के साथ साथ कमजोर हो जाने के कारण पहले के जितना काम नही कर सकते थे । जब रमेश अपने गाव जाने गला तो उसके मित्र ने उसे रोक लिया और कहा की तुम गाव जाकर काम कोगे इससे तो अच्छा है की यही काम कर लो और साथ साथ पढाई भी कर लेना ।
रमेश को अपने मित्र की बात अच्छी लगी इस कारण वह शहर मे रहकर दिन मे काम करने के लिए जाने लगा और रात्री को पढाई करता था । इस तरह से रमेश पढने लगा था । एक वर्ष के अन्दर अध्यापका का पैपर आने वाला था इस कारण दोनो ने साथ मिलकर जम कर तैयारी की ।
रमेश के गाव के लोग उसके पिता को कहते थे की क्यो अपने बेटे को शहर मे पढने के लिए भेज रखा है वह नोकरी लग नही सकता है हम तो इस गाव मे ही काम करते रह जाते है नोकरी तो शहर के लोग ही करते है । उसके पिता को इस बात से कोई लेना देना नही था की लोग उसके और उसके बेटे के बारे मे क्या सोचते है ।
समय बित गया और रमेश का नोकरी का पैपर आ गया था । तब दोनो मित्रो ने सोचा की अब तो और जम कर तैयारी करनी होगी । पर रमेश अभी भी काम करने के लिए जाता था इस कारण उसके मित्र ने कहा की अब से तुम काम करने के लिए नही जाओगे और अगर तुम्हे पैसो की जरुरत पडती है तो मै दे दुगा ।
अपने मित्र के बार बार कहने के कारण रमेश माना गया और दोनो एक साथ रहकर जम कर तैयारी की । जब पैपर आ गया तो दोनो ही पैपर देने के लिए चले गए थे ।और अपना पैपर देकर जब दोनो वापस आए और दोनो एक दुसरे से मिले तो दोनो यही पुछ रहे थे की पैपर कैसा गया । तब दोनो ने आपस मे कहा की पैपर तो अच्छा गया है और लगाता है की नोकरी पक्की है ।
तब दोनो ने सोचा की हम अभी भी शहर मे ही रहेगे और जब पैपर का परिणाम आ जाएगा तब ही अपने गाव मे जाएगे । इस तरह से दोनो शहर मे रहने लगे थे और रमेश काम भी करने के लिए जाने लगा था । कुछ महिनो के बाद दोनो के परिणाम आ गया था ।
दोनो दोस्त एक दुसरे का परिणाम देख रहे थे । जब दोनो ने देखा की इस का नम्बर आ गया है तो दोनो फूला न समा पा रह थे और अपना परिणाम देखना भूल गए थे । तब दोनो आपस मे बात करने लगे की मित्र तेरा नम्बर आ गया है ।
जब दोनो को पता चला की हम दोनो का ही नम्बर आ गया है तो दोनो मित्र बहुत शुख हुए और अगले ही दिन दोनो मित्र अपने साथ बहुत सी मिठाईया लेकर अपने गाव के लिए रवाना हो गए थे । गाव मे पहुंचते ही रमेश के पिता को पता चल गया की मेरा बेटा अध्यापक बन गया है ।
जब इस बात का रमेश के पिता को पता चला तो वे फूला न समा रहे थे और उससे मिलने के लिए उसके सामने जाने लगे थे । रास्ते मे ही दोनो बाप बेटे मिल गए थे । और दोनो बाप बेटे बहुत खुश हो रहे थे । जब रमेश के पिता को पता चला की रमेश का मित्र भी अध्यापक बन गया है तो रमेश के पिता को और अधिक खुशी हुई ।
इस तरह से जब गाव के लोगो को पता चला की वे दोनो ही नोकरी लग गए है तो वे भी खूश हुए थे । इस तरह से जब रमेश और रमेश के मित्र साथ ही उसके पिता को पता चला की वे दोनो नोकरी लग गए है तो रमेश का पिता फूला न सामा पाया । इस तरह से आप इस काहानी से मुहावरे का अर्थ समझ गए होगे ।
फूला न समाना मुहावरे का तात्पर्य क्या होता है || What is the meaning of phula na samana in Hindi
दोस्तो आज के समय में हर किसी के जीवन में कुछ ऐसा होता है जो की उसे बहुत अधिक खुश करने के लिए काफी होता है । और सभी अपने जीवन में बहुत ही अधिक खुश रहना चाहते है । चाहे वह कोई भी हो वह यह नही चाहेगा की वह जीवन में खुश न हो ।
मगर खुश होना और न होना यह सब हमारे हाथ मेंनही होता है । बल्की हमारे साथ अगर कुछ अच्छा होता है तो हम बहुत खुश होते है अगर हमारे साथ कुछ अच्छा नही होता है तो हम खुश नही होते है । मगर दोस्तो आपको बात दे की जो बहुत अधिक खुश होता है उसके लिए इस मुहावरे का प्रयोग किया जा सकता है क्योकी सच में इस मुहावरे का तात्पर्य उस स्थिति से होता है जब बहुत अधिक खुश होने की बात होती है ।
अब खुशी की बात करे तो वह कई तरह की होती है । अगर मां के बेटे का विवाह होता है तो वह बहुत खुश होती है वही पर अगर किसी की नोकरी लग जाती है तो वह खुश होता है । तो इस तरह से बहुत अधिक प्रसन्न होना या खुश होने की जहां पर बात होती है वही पर इस मुहावरे का प्रयोग किया जा सकता है ।
मेरा नाम मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।