कोष्ठक चिह्न या ​ब्रैकेट चिन्ह किसे कहते है, परिभाषा, वाक्य या उदहारण

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दोस्तो हिंदी भाषा में हम कई बार कुछ कोष्ठक का प्रयोग करते है और यह असल में एक तरह का विरामेतर लिपी चिह्न होता है । और हिंदी व्याकरण में इसका एक विशेष स्थान है । जिसके बारे में आपको पता होना जरुरी है ।

ओर आज के इस लेख मे हम बात करेगे की कोष्ठक चिह्न या ​ब्रैकिट चिह्न किसे कहते है, परिभाषा, वाक्य या उदहारण किस तरह से हो सकते है । बस आप लेख को पढते रहीए ताकी आपको यह अच्छी तरह से समझ में आ सके की आखिर को​ष्ठक चिह्न क्या होता है ।

कोष्ठक चिह्न का प्रतिक चिह्न क्या होता है

दोस्तो अगर आप कोष्ठक चिह्न के बारे में जानना शुरु करते है तो आपको सबसे पहले इसके प्रतिक चिह्न के बारे में ही जानना चाहिए । क्योकी जब तक आप प्रतिक चिह्न को नही समझते है तब तक आप इस चिह्न को अच्छे से नही समझ पाएगे । तो आइए इस बारे में बात करते है ।

दोस्तो कोष्ठक ​चिह्न जो होता है वह असल में एक तरह का चिह्न है । और इस चिह्न का प्रतिक चिह्न () इस तरह से होता है। आपको बात दे की यह एक तरह के नही होते है । बल्की इसके भी कुल दो प्रकार होते है । और दोनो के प्रकार के आधार पर इसका प्रतिक चिह्न कुछ अलग तरह का हो जाता है ।

इस कारण से आपको पहले इसके प्रकार के बारे में पता होना चाहिए और उसी के माध्यम से इसके अलग अलग प्रतिक चिह्न के बारे में जाने ।

कोष्ठक चिह्न कितने प्रकार के होते है

दोस्तो हिंदी भाषा में कुल दो तरह के कोष्ठक चिह्न होते है । और उन दोनो का ही काफी महत्व होता है । एक को जहां पर बड़ा कोष्ठक कहा जाता है वही पर दूसरे को छोटा कोष्ठक कहा जाता है ।

असल में इन दोनो का जो चिह्न होता है वह एक दूसरे से ज्यादा अंतर नही रखता है । बल्की इसका चिह्न एक जैसा ही होता है । छोटा कोष्ठक जो होता है उसका प्रतिक चिह्न () कुछ ऐसा होता है । वही पर बड़ा कोष्ठक होता है उसका प्रतिक चिह्न [] कुछ ऐसा होता है ।

इसके अलावा एक कोष्ठक और होता है जिसे इसका प्रकार तो नही कह सकते है । मगर इन दोनो के मध्यम के आकार का होता है । इसके कारण से इसे मध्यम कोष्ठक कहा जाता है । और यह कुछ ऐसा होता है {} ।

तो इस तरह से कुल मिलाकर कोष्ठक तीन तरह के होते है एक बड़ा [], मध्यम {} , छोटा () । मगर हिंदी व्याकरण में और ​विरामेतर लिपी चिह्न में दो ही कोष्ठक के बारे में पढा जाता है जो की बडा और छोटा है । यहां पर मध्यमा के बारे में नही पढा जाता है ।

कोष्ठक चिह्न किसे कहते है

दोस्तो अब आपको यह पता होना जरुरी है की को​ष्ठक चिह्न आखिर कहा किसे जाता है ।क्योकी प्रतिक चिह्न के बारे में जानना काफी नही है । बल्की इसे समझना भी जरुरी है। तो आइए जानते है —

दोस्तो अगर आप कोई शब्द कहते हो । और आप उस शब्द के अर्थ को बताना चाहते है तो आप कह कर बता सकते है । मगर वही पर आप कुछ लिखते हो और वहां पर कोई शब्द है जिसका अर्थ आप समझाना चाहते है । तो इसके लिए आप ऐसा नही लिख सकते है की इस शब्द का अर्थ यह होगा । क्योकी ऐसा लिखना कुछ अटपटा बन जाता है । बल्की हिंदी व्याकरण के लिपी चिह्न के अनुसर अर्थ को समझाने के लिए जिस चिह्न का प्रयोग होता है वह कोष्ठक ही होता है ।

यानि आप कोई वाक्य कहते है जिसके अंदर कंचन नाम आता है और आप उस कंचन के अर्थ को समझाते हुए कहते है की सोना । मतलब यहां पर कंचन नाम जो है वह किसी लकड़ी का नाम नही है बल्की इसका मतलब सोने से होता है । तो इसे ऐसे लिख सकते है —

कंचन (सोना)

वाक्य के अनुसार समझे —

वर्तमान में कंचन (सोना) की किमत बढती ही जा रही है ।

तो इस तरह से आपने कंचन शब्द के आगे कोष्ठक का प्रयोग किया और उसमें सोना लिख दिया । तो इससे समझा जाता है की कंचन का अर्थ सोने से है । और इसी तरह से कोष्ठक का उपयोग किसी शब्द के अर्थ को समझाने के लिए होता है ।

कोष्ठक चिह्न की परिभाषा

अब आपको यह भी तो आना चाहिए की आखिर कोष्ठक चिह्न की परिभाषा क्या होती है । वरना अगर आपसे कोई पूछेगा तो आप साधारण रूप से बता नही सकते है की कोष्ठक चिह्न क्या होते है। तो इसका मतलब होगा की आपको कोष्ठक चिह्न के बारे में पता नही है । इस कारण से परिभाषा के बारे मे पता होना जरुरी है । और यह कुछ ऐसे है —

वह विरामेतर लिपी चिह्न जिसका उपयोग किसी शब्द के अर्थ को दर्शाने या स्पष्ट करने के लिए किया जाता है वह कोष्ठक चिह्न कहलाता है ।

यानि अगर कोई शब्द है और उसका अर्थ स्पष्ट करना है तो उस शब्द के आगे कोष्ठक चिह्न का प्रयोग होता है और उस कोष्ठक में उस शब्द के अर्थ लिख देते है ।

कोष्ठक चिह्न दो तरह के होते है बड़े कोष्ठक का उपयोग छोटे कोष्ठक को ढकने के लिए होता है । इसके अलावा नाटक में भी इसका उपयोग होता है । दरसल जब लेखक निदेर्शको को कुछ संकेत देता है तो इसे भी बड़े कोष्ठक के अंदर लिखते है ।

कोष्ठक चिह्न का उदहारण या वाक्य

तुमहरे पास काफी कंचन (सोना) है।

मनुष्य इस मायावी संसार में आनन्द (खुशी) प्राप्त करने की सोचता है ।

यह अध्यात्मिक दुनिया इस शरीर तक ही सिमित है चेतना (आत्मा) तक नही ।

स्कूल मे टीचर (अध्यापक) ही बच्चो के माता पिता है ।

इस तरह से इन सभी कोष्ठक का उदहारण है ।