ढाक के तीन पात मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रायोग व कहानी

ढाक के तीन पात मुहावरे का अर्थ dhaak ke teen paat muhavare ka arth – हमेशा एक सा रहना

दोस्तो पलाश नाम का एक पोधा होता है जिसे ढाक भी कहा जाता है । उस पोधे की तिन पती होती है जो हमेशा ही एक समाना रहती है । चाहे कोई भी दसा क्यो न आ जाए वे कभी भी एक दुसरे से भिन्न नही ‌‌‌होती है । दोस्तो इस पोधे की तहर से जब कोई व्यक्ति स्वभाव रूप मे हमेशा एक समान रहता है । यानि उसके स्वभाव मे कोई भी परिर्वतन नही आता तो उस व्यक्ति को ढाक के तिन पात कहा जाता है इस तरह से इस मुहावरे का अर्थ हमे ‌‌‌हमेशा सा रहना हुआ ।

ढाक का तिन पात मुहावरे का वाक्य मे प्रयोग

  • ‌‌‌राम तो पूरा ही ढाक का तिन पात है उसे कुछ भी कह लो उसे कुछ फर्क नही पडता ।
  • तुम क्या ढाक के तिन पात हो जो इतनी कडाके की शर्दी मे भी एक सर्ट पहन रखी है ।
  • ‌‌‌शर्दी हो या गर्म वह तो ढाक के तिन पात ही रहता है ।
  • मैं इसे बचपन से देखता आ रहा हूं यह कभी भी अपनो से बडो के सामने बोलता नही है । ऐसे लोगो ‌‌‌को ढाक के तिन पात कहते है ।
  • इतना ज्ञान पा लेने के बाद भी पकंज को किसी बात का घमण्ड तक नही है ऐसे लोगो को कहते है ढाक का तिन पात ।
  • महेश के साथियो मे से आज कोई डॉक्टर तो कोई इंजीनियर बन गए पर यह तो वही का वही रह गया ‌‌‌इसे कहते है ढाक के तिन पात ।

‌‌‌ढाक के तिन पात मुहावरे पर कहानी

‌‌‌प्राचिन समय की बात है बिरबल नाम का एक आदमी हुआ करता था । उसके घर मे उसकी पत्नी और उसके पिताजी रहा करते थे । जब बिरबल छोटा था तो उसके पिता ने उसे पढाने के लिए ऐसी विधालय मे ढाला जहां पर ज्ञान के साथ साथ जीवन जीने के बारे मे भी सिखाया जाता है ।

इस कारण से उस स्कुल मे रोजाना कहा जाता ‌‌‌था की अपने से बडे लोग हमारे भगवान के समान होते है उनके सामने कभी उच्ची अवाज मे बात नही करनी चाहिए । साथ ही यह भी कहा जाता की चाहे समय के साथ नोकरी लग कर कितना भी धनवान बन जाओ पर कभी भी अपने आप पर घमण्ड तक नही होना चाहिए और नोकरी मे कभी भी किसी से रिश्वत नही लेनी चाहिए ।

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इस तरह की अनेक ‌‌‌बाते उस विधालय मे बताई जाती थी ताकी जो भी लडका आज छोटी सी उमर मे है वह आगे जाकर रास्ता न भटक जाए । जब बिरबल को भी उसी विधालय मे पढने के लिए भेजने लगे तो वह भी समय के साथ उस विधालय के बताय गए रास्ते पर चलने वाला बन गया था ।

वह कभी भी किसी से उच्ची आवाज मे बात नही करता था और साथ ही वह ‌‌‌अपने आप पर कभी घमण्ड नही करता था । वह गाव मे एक ही ऐसा था जो उस विधालय मे ज्ञान हासिल कर सका था । क्योकी एक तो लोगो के पास पैसो की कमी थी और दुसरा कोई भी अपने लडके को वहां भेजाना नही चाहता था ।

क्योकी उन लोगो का मानना था की अगर उनके ज्ञान के अनुसार कोई अपना जीवन जिएगा तो वह बहुत ही सिधा साधा हो ‌‌‌जाएगा । जिसके कारण इस संसार के लोग उसे जीनव जीने मे मुश्किल पैदा करते जाएगे । पर ऐसी सोच बिरबल के पिता की नही थी ।

जब बिरबल बडा हो गया तो वह एक कंपनी मे नोकरी लग गया था । वह कंपनी सरकारी कंपनी थी जिसके कारण अनेक लोग वहां पर अपना काम कराने के लिए आते जाते थे । साथ ही उन लोगो मे से जो लोग सही ‌‌‌नही होते थे वे लोग वहां जो भी काम करते थे उन्हे रिश्वत देते थे जिससे उनका काम बन जाता था ।

जब बिरबरल को वहा काम करते हुए चार वर्ष बित गए तो एक दिन उसके पास एक ऐसा आदमी आया जो गलत राह पर चल कर सरकारी कागजात बनाना चाहता था । इसके लिए उसने बिरबल को रिश्वत देने की बहुत कोशिश की पर उसने ‌‌‌साफ मना कर दिया की मैं तुम्हारा काम नही करूगा ।

इस कारण से उस आदमी ने बिरबल को ‌‌‌धमकी दी अगर तुमने यह काम नही किया तो मैं तुम्हे जान से मार दूगा । तब भी बिरबल ने अपना फैसला नही ‌‌‌बदला तो वह आदमी वहां से चला गया था ।

जब बिरबल की काम से छूट्टी हुई तो उसे घर जाते समय रास्ते मे वह आदमी मिल गया ‌‌‌जिसने उसे कंपनी मे ‌‌‌धमकी दी थी । तब वह आदमी बिरबल को मारने के लिए भी तैयार हो गया था तब भी बिरबल अपनी बात से नही पलट रहा था ।

तब उस आदमी ने कहा की तुम तो ढाक के तिन पात हो तुम्हे नुकसान पहुचाने से कुछ नही होगा इतना कह कर वह वहां से चला गया था । जब बिरबल अपने गाव मे पहुंचा तब तक तो इस ‌‌‌बारे मे गाव के लोगो को पता चल गया था ।

तब गाव के लोगो ने इस बारे मे पूछा तो बिरबल ने सारी बात बता दी । तब गाव के लोगो ने उसे बहुत सुनाया और कहा की तुम्हे पहले ही पुलिस को बता देना चाहिए की वह मुझे ‌‌‌धमकी देकर गया है । साथ ही गाव के कुछ लोगो ने कहा की ऐसे गुंडो को काम करकर दे देना चाहिए । ‌‌‌

तब भी बिरबल आराम से चुप चाप खडा था । इसी तरह से जब अगले दिन बिरबल अपनी कंपनी मे पहुंचा तो उसके बॉस ने उसे इसी बात के लिए भला बुरा कहा ‌‌‌साथ ही यह भी कहा की तुम्हे रिश्वत लेने से क्या दिकत थी यहां सभी तो लेते है । तब बिरबल ने कहा की सभी लेते होगे पर मैं नही लूगा।

जब उसके बॉस ने ऐसा सुना तो उसने कहा की ‌‌‌तुम क्या ढाक के तिन पात हो जो हमेशा ऐसे ही रहोगे । कभी न कभी ऐसा दिन आएगा ही जब तुम अपनी कही बातो के विपरीत जाओगे और तुम्हे रिश्वत लेनी पडेगी । इतना कह कर उसका बॉस वहां से चला गया था ।

तभी उसके पास वह आदमी आया जिसने उसे काम करने के लिए कहा था या जिसने उस पर हमला किया था । तब उस आदमी ने ‌‌‌ कहा की तुमने मेरा काम नही किया पर तेरे बॉस ने मेरा काम कर दिया । तब बिरबल उसके सामने कुछ नही बोला और चुप चाप आराम से बैठा रहा था ।

जब उसे ऐसे ही काम करते हुए उमर हो गई तब एक दिन फिर ऐसा ही आदमी आया जिसने उससे काम करने के लिए कहा । पर वह नही कर रहा था तो वह आदमी उसके बॉस के पास चला गया था । ‌‌‌पर इसमे बॉस भी कुछ नही कर सकता था वह काम कैवल वही कर सकता था ।

इस कारण से उसके बॉस ने कहा की मैं इसे कई वर्षो से देखता आ रहा हूं ये तो ढाक का तिन पात है यह तुम्हारा काम नही करेगा ।

जब उसके बॉस ने ऐसा कह दिया तो वह आदमी वहा से चला गया था । और फिर बिरबल ने अपनी इसी सोच के साथ अपना सारा जीवन ‌‌‌गुजार दिया । इस तहर से आप लोगो को इस कहानी से समझ मे आ गया होगा की इस मुहावरे का मतलब क्या होता है ।

ढाक के तीन पात मुहावरे पर निबंध || dhaak ke teen paat essay on idioms in Hindi

दोस्तो अगर आप अभी स्वभाव में सरल है तो आपको सभी के साथ सरल स्वभाव रखना चाहिए । साथ ही आप कभी गुस्सा नही कर सकते है अगर आप ऐसा रह सकते है जैसे अभी है तो आपके लिए भी इस मुहावरे का प्रयोग किया जा सकता है ।

क्योंकी आपने अभी इस मुहावरे के अर्थ के बारे में जाना है की इसका अर्थ हमेशा एक सा रहना होता है । तो अगर कोई व्यक्ति हमेशा एक ही जैसा रहता है चाहे वह स्वभाव में हो या फिर किसी अन्य तरह से तो उसके लिए इसका प्रयोग किया जा सकता है।

जैसे की आपने कहानी को पढा है और काहनी में यह जाना है की किस तरह से ढाक के तीन पात मुहावरे का प्रयोग हुआ है वैसे आपको सच बताए तो यह जो कहानी हैयह भी आपको मुहावरे के अर्थ के बारे में पूरी तरह से समझाने की ताक्त रखती है ओर यह शायद आप समझ सकते है ।

‌‌‌निचे कुछ मुहावरों की लिंक दी जा रही है जो बहुत ही महत्वपूर्ण है ।

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