गर्दन पर सवार होना मुहावरे का अर्थ gardan par savar hona muhavare ka arth – किसी काम के लिए पिछे पडना ।
दोस्तो आप लोगो को यह ज्ञात होगा की आज के समय मे ऐसे लोगो का मिलना बहुत ही मुसीकल हो गया है जो अपने आप किसी काम को कर दे । और ऐसे लोगो की कोई कमी नही है जो किसी काम को अपने आप नही करते है । यानि बहुत से ऐसे लोग है जिनके जब तक पिछे नही पडा जाता तब तक वे किसी काम करते नही है । कहने का अर्थ है की उस काम को कराने के लिए उसके पिछे पडतना होता है तब जाकर वह काम होता है । दोस्ती इस तरह से जब किसी कार्य के लिए किसी के पिछे पडा जाता है तब इस मुहावरे का प्रयोग किया जाता है ।

गर्दन पर सवार होना मुहावरे का वाक्य मे प्रयोग Use in sentence
- आज कल भ्रष्टाचार इतना फैल गया है की जब तक किसी की गर्दन पर सवार नही होते तब तक कोई काम नही होता है ।
- अगर इसी तरह से इसकी गर्दन पर सवार रहोगे तो यह बैचारा काम करेगा की तुम्हारी बाते सुनेगा ।
- पहले तो उधार ले लेते है और जब वापस नही देते तो हम भले लोगो को उनकी गर्दन पर सवार होना पडता है ।
- अगर मैं अपना काम कराने के लिए किसी की गर्दन पर सवार हो गया तो कोनसा गलत काम कर दिया ।
- जब तक तुम नटवरलाल की गर्दन पर सवार नही होगे तब तक वह तुम्हारा काम नही करेगा ।
- तुम्हारी तो आदद ही है की किसी काम को कराने के लिए सामने वाले की गर्दन पर सवार होना ।
- अगर तुमने मेरे पैसे वापस नही दिए तो मैं तुम्हारी गर्दन पर सवार हो जाउगा ।
- 100 रूपयो के लिए तुम तो मेरी गर्दन पर सवार हो गए मैंने कहा है न कल दे दुगा तुम्हे सुनाई नही देता क्या ।
गर्दन पर सवार होना मुहावरे पर कहानी Idiom story
दोस्तो एक समय की बात है रेखाराम नाम का एक आदमी था । जो अपनी पत्नी और दो बच्चो के साथ रहा करता था । रेखाराम के पास कमाई का एक ही साधन था वह खेती थी । जब से रेखाराम छोटा था तभी से उसके पिता ने अपने खेत मे एक कूवा खूदवा दिया था ताकी वह स्वयं और आने वाले समय मे रेखाराम वहां पर खेती कर कर अपना पेट भर सके ।
जब उसके पिता मर गए तो रेखाराम ही वहां पर खेती करने लगा था । वह पहले उस खेत मे फसल के तोर पर गेहूं बोता था जिससे उसका पेट भी भर जाता और वह उन्हे बेच कर पैसे भी कमा लेता था । पर समय के साथ साथ वह खेत कमजोर होने लगा । इस कारण से वहां पर गेहूं की खेती नही होने लगी थी ।
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जिसके कारण से रेखाराम ने अपने खेत मे फसल बोना बंद कर दिया और वह मजदूरी करने के लिए जाने लगा था । रेखाराम की एक आदद थी की जब भी वह मजदूरी करता और उसे श्याम हो जाती तो वह जिसके पास मजदूरी करता उससे श्याम को ही पैसे लेता था ।
अगर किसी के पास पैसे नही होते तो भी वह कहता की मुझे तो आपको लाकर ही देने होगे चाहे कही से लेकर आओ । इस तरह से वह मजदूरी के पैसे लेने के लिए किसी की भी गर्दन पर सवार हो जाता था ।
क्योकी उसने मजदूरी की थी इस कारण से उसे पैसे भी देने जरूरी है इस कारण से उसे लोग कही से भी पैसे लाकर देते थे वरना वह रात भर पैसे लेने के लिए उसके पिछे पडा रहता था । इस तरह से उसे काम करते हुए चार वर्ष बित गए थे ।
पर वह नाम का ही काम करता था कहने का अर्थ है उस काम के कारण उनका घर सही तरह से नही चल पाता था । चार वर्ष बित जाने के बाद एक दिन रेखाराम को किसी ने कहा की अब तो तुम्हारे खेत मे फसल नही उगाए हुए चार वर्ष बित गए है ।
इस कारण से तुम उसमे सब्जिया उगाओ जिसके कारण से तुम्हे बहुत ही अच्छा मुनाफा होगा । उस आदमी की बात के बारे मे जब रेखाराम ने अपनी पत्नी से बात की तो उसने भी कहा की अब तो हमारे खेत मे फसल हो सकती है ।
इस कारण से आप इस बार सब्जिया उगा कर देख लो पता नही अच्छा मुनाफा हो जाए । इस तरह से उसने फिर अपने खेत मे सब्जिया उगा दी । एक महिने बाद उसकी सब्जियो की फसल अच्छी फलने फुलने लगी और कुछ ही दिनो बाद उसमे सब्जिया लगने लगी थी ।
इस कारण से वह अपने घर मे ही सब्जिया खाता और जब अधिक सब्जिया लगने लगी तो वह उन्हे बचने भी लगता था । पर आप लोगो को पता है की आज के समय मे उधार ले जाने वाले बहुत है। और रेखाराम के पास से ही सभी उधार ले जाने लगते थे ।
जिसके कारण से उसका फायदा नही होता और लोग फिर वापस आकर पैसे देते नही थे । इस कारण से वह अपनी पहले वाली ही आदद अपनाता और लोगो के पिछे पड जाता तब जाकर लोग उसे पैसे देते थे ।
इसी तरह से एक बार रेखाराम के खेत मे एक व्यपारी आया जिसने उससे सब्जिया ले ली थी । वह व्यपारी रेखाराम के गाव का ही था । इस कारण से उसने कहा की पैसे कल ले लेना । जब अगला दिन आया तो रेखाराम उससे पैसे मागने के लिए गया तो वह कहने लगा की कल ले लेना ।
इस तरह से फिर रेखाराम को पता चल गया की यह कल कल करता रहेगा और पैसे नही देगा । इस कारण से वह उसके पिछे पड गया और पैसे मागने लगा था । वह व्यपारी जहां पर भी जाता रेखाराम उसके साथ साथ हो जाता और पैसे मागने लग जाता था । तब उस व्यपारी ने कहा की इस तरह से मेरी गर्दन पर सवार होओगे तो मैं पैसे कहा से लाउगा मैंने कहा है न कल ले लेना ।
पर रेखाराम को पता था की यह नही देगा इस कारण से वह उसकी एक भी बात नही सुन रहा था । और उसके साथ साथ रहने लगा था । जिसके कारण से उस व्यपारी को लगने लगा की अगर इसे मैंने पैसे नही दिए तो यह मेरा पिछा नही छोडेगा। जब लोगो को इस बारे मे पता चलेगा तो मेरी इज्जत घट जाएगी ।

ऐसा सोच कर उस व्यपारी ने अपनी जेब से पैसे निकाल कर दे दिए थे । इस तरह से उस व्यपारी को पता चल गया की अगर इसे पैसे समय पर नही दिए तो यह मेरी गर्दन पर सवार हो जाएगा ।
इस कारण से वह फिर जब भी सब्जिया लेकर जाता तो रेखाराम को पैसे उसी समय दे देता था । इस तरह से रेखाराम को भी पता चल गया की लोगो के जब तक पिछे नही पडा जाता तब तक ये पैसे नही देते है ।
इस तरह से फिर रेखाराम का जीवन बडी खुशी के साथ चलने लगा था । इस तरह से आप लोगो को समझ मे आ गया होगा की इस मुहावरे का अर्थ क्या है ।
गर्दन पर सवार होना मुहावरे पर निबंध || gardan par savar hona essay on idioms in Hindi
दोस्तो आपने कुस्ती का मैंच देखा होगा जिसमें खिलाडी दूसरे खिलाडी को हराने की कोशिश करता है । मगर इस स्थिति में गर्दन को पकडा जाता है ओर खिलाडी को हराने की कोशिश की जाती है ।
अगर सामने वाले खिलाडी की गर्दन को पकड लिया जाता है तो इससे सामने वाले की हार होना पक्का है । मतलग गर्दन को पकडने पर अपने कार्य में सफल होना पक्का है ।
अब अगर कोई व्यक्ति किसी कार्य की गर्दन पर ही सवार हो जाता है तो इसका मतलब यह हुआ की वह उस काम के पीछे पड़ गया है और जीवन में सफल होकर ही मानेगा । और यह आप समझ सकते है । और इस बात से ओर कहानी के माध्यम से आपने यह समझ लिया है की किसी काम के लिए पिछे पडना ही असल में इस मुहावरे का अर्थ है ।
जैसे की आप किसी काम को करने के लिए उसके पीछे पड़ चुके हो तो इसका मतलब है की आप गर्दन पर सवार हो गए हो ।
निचे बेस्ट हिंदी मुहावरे दिए गए है जो ज्यादातर प्रयोग मे आते है ।
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